जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है? यूं तो कृष्ण भगवान की पूजा हर दिन घर-घर में होती है। लेकिन जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण की अद्भुत छवि देखने को मिलती है। जन्माष्टमी एक ऐसा त्योहार है जिसे लोग पूरे उत्साह के साथ मनाते हैं। इस पवित्र दिन में भक्त मंदिरों में भगवान से प्रार्थना कर उन्हें भोग लगाते हैं। लोग अपने घरों में बालगोपाल को दूध, शहद, पानी से अभिषेक कर नए वस्त्र पहनाते हैं।
इस कारण मनाई जाती है जन्माष्टमी
वैसे तो भगवान श्रीकृष्ण की कई अवतार हैं लेकिन पौराणिक ग्रथों के अनुसार भगवान विष्णु ने इस धरती को पापियों के जुल्मों से मुक्त कराने के लिए भगवान श्री कृष्ण के रूप में अवतार लिया था।
श्रीकृष्ण ने माता देवकी की कोख से इस धरती पर अत्याचारी मामा कंस का वध करने के लिए मथुरा में अवतार लिया था। कृष्ण का पालन पोषण माता यशोदा ने किया। श्रीकृष्ण बचपन से ही बहुत नटखट थे और उनकी कई सखा और सखियाँ भी थी। जिनके साथ वो बांसुरी बजाया करते थे और रासलीलाएं किया करते थे।
कैसे मनाई जाती है जन्माष्टमी
देश में बाकी त्यौहारों की तरह जन्माष्टमी को भी अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। कई जगह इस दिन फूलों की होली भी खेली जाती है तथा साथ में रंगों की भी होली खेली जाती है। देशभर में जन्माष्टमी के पर्व पर झाकियों के रूप में श्रीकृष्ण का मोहक अवतार देखने को मिलते हैं। मंदिरों को इस दिन सुंदर तरीके से सजाया जाता है।
लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं। रात 12 बजे कृष्ण भगवान के जन्म के बाद उनको भोग लगाकर व्रत खोला जाता है। जन्माष्टमी के दिन मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण को झूला झूलाया जाता है। जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा नगरी को खूब सजाया जाता है। लोग दूर-दूर से इस दिन मथुरा में कृष्ण जन्मोत्सव देखने आते हैं।
जन्माष्टमी पर दही-हांड़ी का महत्व
भगवान कृष्ण को दही, दूध, मक्खन बेहद पंसद था। जिसके कारण वो गांव के गोपियों के घर चोरी करके माखन खाया करते थे। एक दिन गोपियों के द्वारा माखन चोरी की शिकायत करने पर मां यशोदा को उन्हें घटों खंभे से बांध कर रखा था। जिसके बाद से ही भगवान कृष्ण का नाम माखनचोर पड़ गया।
इसी कारण अब भी कृष्ण जन्मोत्सव पर भगवान के बाल रूप को हर साल दोहराते हुए दही-हांडी का उत्सव मनाया जाता है। बच्चे उंचाई पर दूध, दही और मक्खन की हांडी बाँधते हैं और फिर इसे मिलकर फोड़ते हैं।
कब है जन्माष्टमी
हर बार की तरह इस बार भी जन्माष्टमी दो दिन मनाई जा रही है। 11 और 12 अगस्त दोनों दिन जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जा रहा है। लेकिन 12 अगस्त को जन्माष्टमी मनाना श्रेष्ठ है। मथुरा और द्वारिका में 12 अगस्त को जन्मोत्सव मनाया जाएगा।
आपको बता दें कि श्रीमद्भागवत दशम स्कंध में कृष्ण जन्म प्रसंग का उल्लेख मिलता है। इसमें कहा गया है कि जिस समय पृथ्वी पर अर्धरात्रि में कृष्ण अवतरित हुए ब्रज में उस समय पर घनघोर बादल छाए हुए थे।
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