तीन तलाक असंवैधानिक घोषित, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को छ: महीने में कानून बनाने को कहा

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  • सुप्रीम कोर्ट ने एतिहासिक पैसला सुनाते हुए पिछले 1000 साल से जारी तीन तलाक की कुप्रथा को समाप्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया है। कोर्ट ने फैसला दिया कि जो चीज कुरान में सही नहीं है, वह शरियत में सही कैसे हो सकती है।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एतिहासिक पैसला सुनाते हुए पिछले 1000 साल से जारी तीन तलाक की कुप्रथा को समाप्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया है। कोर्ट ने फैसला दिया कि जो चीज कुरान में सही नहीं है, वह शरियत में सही कैसे हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के साथ ही तीन तलाक से उन लाखों महिलाओं ने राहत की सांस ली है, जो इससे प्रभावित थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा शादी तोड़ने के लिए यह सबसे खराब तरीका है।

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सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर रोक लगाते हुए केंद्र सरकार को छह महीने के भीतर नया कानून बनाने को कहा है। ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों के फैसले के आधार पर 9 करोड़ मुस्लिम महिलाओं की जीत हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने 3-2 के बहुमत से इसे संविधान और महीलाओं के हक के खिलाफ करार दिया है। चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस अब्‍दुल नजीर ने अपने फैसले में ट्रिपल तलाक पर छह महीने के लिए रोक लगाई थी और कहा था कि सरकार इस पर कानून बनाए।

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गौरतलब है कि इस मामले पर पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने पहले ही अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। तीन तलाक पर संवैधानिक पीठ की सुनवाई 11 से 18 मई तक हुई थी। तीन तलाक पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस्लामिक देशों में तीन तलाक खत्म किये जाने का हवाला दिया, कोर्ट ने पूछा कि स्वतंत्र भारत इससे निजात क्यों नहीं पा सकता है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि सरकार छह महीने के भीतर नया कानून बनाए।

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सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीद जताई कि केंद्र जो कानून बनाएगा उसमें मुस्लिम संगठनों और शरिया कानून संबंधी चिंताओं का खयाल रखा जाएगा। कोर्ट ने कहा कि सभी राजनीतिक दल अपने आपसी मतभेदों को दरकिनार कर केंद्र को कानून बनाने में सहयोग करें।  कोर्ट ने कहा कि अगर छह महीने में कानून नहीं बनाया जाता है तो तीन तलाक पर शीर्ष अदालत का आदेश जारी रहेगा। कोर्ट ने पूछा कि जब इस्लामिक देशों में तीन तलाक वैध नहीं है तो फिर भारत इससे निजात क्यों नहीं पा सकता।

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