मकर संक्रांति तब मनाया जाता है जब सूर्य धनु राशि से मकर में प्रवेश करता है। मकर राशि में प्रवेश करने के दिन से ही मकर संक्रांति का पर्व शूरु हो जाता है। हर साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन से भगवान भास्कर यानी सूर्य 6 महीने के लिए उत्तरायण होता है। 14 जनवरी के दिन देश के कई हिस्सों में इसे उत्तरायण पर्व भी कहा जाता है।
हिंदू धर्म में मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन दान-पुण्य का कार्य करने से कई गुना ज्यादा पुण्य मिलता है। शास्त्रों के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन मांगलिक कार्यों को करना चाहिए। इससे घर में शुभता आती है और घर में हमेशा माँ लक्ष्मी का वास होता है। मकर संक्रांति के दिन कुछ कार्यों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से अपशकुन होता है और घर और जीवन में दरिद्रता आती है।
इन कार्यों को भूलकर भी नहीं करें
1. कई लोगों का आदत होता है बिस्तर पर सुबह में चाय पीने का। कई बिना स्नान किये ही भोजन करना शुरू कर देते हैं। लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। मकर संक्रांति के दिन व्यक्ति को सुबह के समय स्नान करना चाहिए और उससे बाद सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद ही कुछ खाना-पीना चाहिए।
2. मकर संक्रांति का पर्व प्रकृति से जुड़ा होता है। इस दिन किसी भी पेड़-पौधों की कटाई-छंटाई नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से घर में बरकत नहीं होती है। इस दिन दान करना चाहिए। गरीब और दीन-दु:खियों को खाली हाथ वापस नहीं लौटाना चाहिए।
3. 14 जनवरी को उत्तरायण पर्व के दिन भोजन में प्याज-लहसुन का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इस दोनों चीजों को तामसिक भोजन माना गया है। इस दिन खाने में सात्विक भोजन को शामिल करना चाहिए।
4. मकर संक्रांति पर्व के दिन मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन किसी भी तरह की नशीली चीजों का भी सेवन नहीं करना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद नहीं मिलता है।
5. गांव में लोग दूध देने वाले पशुओं को पालते हैं। कहा जाता है कि मकर संक्रांति पर्व के दिन गाय या भैंस का दूध नहीं दूहना चाहिए। उस दिन बछरों के लिए दूध को छोड़ देना चाहिए।
6. मकर संक्रांति पर्व को शांति और उमंग का प्रतीक माना जाता है। इस दिन लोग पतंगबाजी भी करते हैं। इस दिन शान के समय खिचड़ी बनाई जाती है। मकर संक्रांति के दिन क्रोध नहीं करना चाहिए। इस दिन किसी को कटू वचन भी नहीं बोलना चाहिए।
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