पुष्पांजलि शर्मा, नई दिल्ली। आज ही के दिन 71 वर्ष पहले सन् 1942 में ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन की चिंगारी पूरे देश में फैली थी। इस आंदोलन की शुरूआत महात्मा गांधी ने की थी। तो उस वक्त अंग्रेजी हुकूमत पूरी तरह से हिल गई थी और सभी भारतीयों को देश से अंग्रेजों को भगाने के लिए ‘करो या मरो’ का नारा दिया था।
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यह आंदोलन मुंबई में ग्वालिया टैंक से शुरू हुआ था। अब हर साल इस को अगस्त क्रांति दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह एक ऐसा व्यापक आंदोलन था, जिसने अंग्रेजी शासन को हिला दिया और आखिरकार 15 अगस्त, 1947 को उसे भारत को आजाद करना पड़ा।
मुंबई का ग्वालिया टैंक, जहां ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन की शुरूआत हुई थी। गांधी जी ने यहीं अपने भाषण में कहा था कि ‘करो या मरो’ या तो हम भारत को आजाद कराएंगे या इस कोशिश में अपनी जान दे देंगे। गाँधी के इन बातों से एक बड़े आंदोलन की तैयारी होने लगी थी। महात्मा गांधी के नेतृत्व में शुरु हुआ यह आंदोलन सोची-समझी रणनीति का हिस्सा बन गई थी।
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इस आंदोलन की खास बात थी कि इसमें पूरा देश शामिल पो गया था। और इस आंदोलन ने ब्रिटिश हुकूमत की जड़ें हिलाकर रख दी थीं। पूरे देश में ऐसा माहौल बन गया कि भारत छोड़ो आंदोलन अब तक का सबसे विशाल आंदोलन कहा जाता है। कि इसकी व्यापकता को देखते हुए अंग्रेजों को विश्वास हो गया था कि उन्हें अब इस देश से जाना पड़ेगा।
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