जहां अंदर कहीं नाइंसाफी हो रही हो वहां बाहर खामोश रहना गुनाह है। ये हम नहीं कह रहे हैं। यह तो गुरू रवीन्द्र नाथ टैगोर करीब नब्बे साल पहले हमसे कह गए थे। शायद हम ही बहरे थे और हम सिर्फ बहरे नहीं अंधे भी हैं। क्योंकि हमें अपने शहरों में चलने वाली दरिंदगी दिखाई देता तो मुजफ्फरपुर, देवरिया और हरदोई में ये हादसे न हुए होते।
अगर आप समझते हैं कि यह सिर्फ तीन शहर है और इसमें आप का शहर शामिल नहीं है, तो यकीनन आप धोखे में हैं। क्योंकि अपराध खत्म होने का नाम भी नहीं ले रही है।
दाऊद की प्रॉपर्टी हुई इतने करोड़ में नीलाम
दिन पर दिन बेटियों पर अत्याचार बढ़ता जा रहा है। लेकिन ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का नारा देने वाली सरकार की राजनीति कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। बिहार में नीतीश सरकार चुप्पी लगाए हुए हैं। यूपी में योगी सरकार और बहुत हुआ बेटियों पर अत्याचार कहने वाले मोदी सरकार का नारा देने वाले प्रधानमंत्री भी खामोश क्यों हैं? तो फिर कहने के लिए रह ही क्या जाता है।
कलयुग के इस महाभारत में ब्रजेश ठाकुर जैसे दुर्योधन द्रौपदी के कपड़े उतारते रहेंगे और हम पांडवों की तरह बस हाथ मलकर देखते ही रह जाएंगे। अब सरकार से कोई उम्मीद नहीं रह गई है। अब समय आ गया है कि हमें मिलकर इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। तभी बेटियों के साथ न्याय हो पाएगा।
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