एमएसएमई सेक्टर
नई दिल्ली। भारत सरकार ने कोरोना लॉकडाउन से प्रभावित छोटे और मंझौले उद्योगों को बड़ी राहत देते हुए एमएसएमई की परिभाषा बदल दी है। सरकार ने कहा है कि ज्यादा निवेश वाली कंपनियों को एमएसएमई के दायरे में ही रखा जाएगा। एमएसएमई की परिभाषा पहले सिर्फ निवेश के आधार पर तय किया जाता था लेकिन अब टर्नओवर के आधार पर भी तय की जाएगी।
इससे पहले माइक्रो यूनिट में 25 हजार का निवेश तक माना जाता था अब एक करोड़ के निवेश करने वाली कंपनियां माइक्रो यूनिट होंगी। अब ये निवेश 1 करोड़ तक हो सकता है, और टर्नओवर 5 करोड़ तक हो सकता है लेकिन तब भी आप माइक्रो यूनिट के अंदर ही आएंगे।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जो एनपीए हैं और जो लॉकडाउन के चलते परेशानी में हैं उन्हें इस कदम से फायदा होगा। 45 लाख एमएसएमई को इससे राहत मिलेगी। एक साल तक कर चुकाने से मुक्ति मिलेगी। एमएसएमई जो सक्षम हैं, लेकिन कोरोना की वजह से परेशान हैं, उन्हें कारोबार विस्तार के लिए 10,000 करोड़ रुपये के फंड्स ऑफ फंड के माध्यम से सहयोग दिया जाएगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा 15 विभिन्न कदमों का जिक्र होगा जिसमें 6 एमएसएमई के लिए कदम उठाएंगे दो कदम एमएसएमई के फाइनेंस से जुड़ा है और 2 पीएफ से जुड़े हैं। एमएसएमई को 3 लाख करोड़ का कर्ज बिना किसी गारंटी का मिलेगा। सूक्ष्म, लघु, मध्यम व कुटीर उद्योग के लिए 20 हजार करोड़ का प्रावधान। वहीं 50000 करोड़ का फंड एमएसएमई में डाला जाएगा।
बजट के फौरन बाद कोरोना आ गया। बजट सेशन के बाद हमने गरीब कल्याण योजना के तहत 41 करोड़ खातों में पैसा पहुंचा था। जिनके पास राशन कार्ड नहीं था उन्हें भी राशन दिया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा मोदी सरकार लोगों से बातचीत और संवेदनशीलता में भरोसा रखती है और बजट के बाद तुरंत कोरोना का प्रकोप आ गया।
वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि पीएम ने सबसे पहला कदम देश के गरीबों को लेकर उठाया। एक लाख 70 हजार करोड़ रुपये का पैकेज दिया गया। वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि पीएम ने सबसे पहला कदम देश के गरीबों को लेकर उठाया। एक लाख 70 हजार करोड़ रुपये का पैकेज दिया गया। आत्मनिर्भर भारत बनाने का उसने देश के लोगों में नई ऊर्जा भर दी है। लोग संकट में अवसर देख रहे हैं।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की प्रेस कॉन्फ्रेंस में 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का लेखाजोखा दे रही हैं। उन्होंने कहा कि कई मंत्रालयों की लंबी चर्चा के बाद पैकेज पर फैसला हुआ है। इस पैकेज के सहारे देश को आत्म निर्भर बनाना है। इसलिए इसे आत्मनिर्भर भारत अभियान कहा जा रहा है। हम जो भी योजनाओं का ऐलान करेंगे वो सीधे लोगों तक पहुंचेगे। गरीबों के खाते में सीधे पैसा पहुंच रहा है।
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