प्याज लहसुन का जन्म
प्याज और लहसुन का जन्म कैसे हुआ? आज इस विषय में जानने का प्रयास करेंगे। लहसुन और प्याज का भगवान को भोग क्यों नहीं दिया जाता है? आज के समय में बिना लहसुन प्याज के खाना बनता नहीं है लेकिन शास्त्रों के अनुसार भगवान को भोग देते समय लहसुन प्याज का उपयोग वर्जित होता है। आइए जानते हैं कि लहसुन और प्याज का जन्म कैसे हुआ और इसे भगवान को अर्पित क्यों नहीं किया जाता है?
भगवान को भोग में लहसुन प्याज नहीं देने के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण मौजूद हैं। कहा जाता है कि जब देवताओं और राक्षसों के बीच समुद्र मंथन हो रहा था तो इस मंथन से अमृत कलश निकला। अमृत कलश निकलने के बाद देवताओं और राक्षसों के बीच इसके उपयोग को लेकर लड़ाई होने लगी। इसके बाद भगवान विष्णु ने अमृत कलश को बचाने के लिए मोहिनी रूप धारण किया था।
अमृत प्लस रक्षकों के हाथ ना लग जाए इसलिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण करके राक्षसों को भ्रमित करने का काम किया था। इस रूप में भगवान विष्णु ने जैसे ही अमृत बांटना शुरू किया तो एक राक्षस अपना वेश बदलकर देवताओं के कतार में बैठ गया। जैसे ही भगवान विष्णु मोहिनी रूप में देवताओं को अमृत दे रहे थे तो गलती से उस राक्षस ने भी अमृत का सेवन कर लिया।
लेकिन तभी उसकी असलियत देवताओं के सामने खुल गई और भगवान विष्णु ने तुरंत सुदर्शन चक्र से उस राक्षस का सिर काट दिया। हालांकि उस राक्षस ने अमृत पी लिया था इसलिए उसकी मृत्यु नहीं हो पाई और उसका सिर और धर अलग हो गया। उस राक्षस का सिर और धड़ दोनों ही जीवित अवस्था में रहा। जिसे राहु और केतु नाम दिया गया।
अमृत बांटते समय भगवान विष्णु ने जिस राक्षस का वध किया था उस वक्त राक्षस का सिर कटते हैं अमृत की जो बूंदे धरती पर गिरी, उसी से प्याज और लहसुन की उत्पत्ति हुई। कुछ लोगों द्वारा कहा जाता है कि लहसुन प्याज की उत्पत्ति राक्षसों के मल से हुई जो एक तरफ से गलत व्याख्या है। लहसुन प्याज की उत्पत्ति उस अमृत से हुई जो राक्षस का सिर काटते ही अमृत की कुछ बूंदें धरती पर गिरी थी।
अमृत की बूंदों से उत्पत्ति होने के कारण लहसुन और प्याज को रोग नाशक और जीवनदायिनी माना जाता है। हालांकि राक्षसों के मुख से गिरी बूंदों की वजह से जन्म होने के कारण इनका भोग भगवान को नहीं लगाया जाता है। धर्म शास्त्रों के मुताबिक, लहसुन और प्याज को अच्छा नहीं माना जाता है। कहा जाता है कि लहसुन और प्याज के अंदर तामसिक प्रवृत्ति को बढ़ावा देने वाले तत्व पाए जाते हैं।
लहसुन और प्याज का सेवन करने से उत्तेजना में वृद्धि होती है। इसके साथ-साथ यह भी माना जाता है कि लहसुन और प्याज का सेवन करने से व्यक्ति का मन अस्थिर हो जाता है। इससे अध्यात्म के मार्ग में बाधा उत्पन्न होती है और मन की एकाग्रता में व्यवधान पैदा होता है। इसलिए भगवान के भोग में लहसुन और प्याज का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।
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