Abu Dhabi Court (Image-Gulf News)
नई दिल्ली। एक तरफ जहां भारत के सभी राज्यों में हिंदी अपने आधिकारिक पहचान को लेकर संघर्ष कर रही है। वहीं अबू धावी में हिंदी को एक बड़ा सम्मान मिला है। अबू धाबी की सरकार ने जनता के बीच न्याय प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए हिंदी को अदालत की तीसरी आधिकारिक भाषा का सम्मान दिया है।
अबू धाबी की सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए अरबी और अंग्रेजी के बाद हिंदी को वहां अदालतों में भाषा के तौर पर स्थापित किया है। सरकार का मकसद वहां बसने वाले हिंदी भाषी लोगों को मुकदमें की प्रक्रिया, उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जानने में मदद करना है। वहां की आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक, अबू धाबी में दो तिहाई वासिंदे देश से बाहर के हैं।
इस संबंध में अबू धाबी न्याय विभाग ने कहा कि उसने श्रम मामलों में अरबी और अंग्रेजी के साथ हिंदी भाषा को शामिल करके अदालतों के समक्ष दावों के बयान के लिए भाषा के माध्यम का विस्तार कर दिया है। इसका मकसद हिंदी भाषी लोगों को मुकदमे की प्रक्रिया, उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में सीखने में मदद करना है।
रिपोर्ट के मुताबिक, संयुक्त अरब अमीरात में कुल आबादी का दो तिहाई हिस्सा प्रवासी लोग हैं। जिन्हें न्याय प्रणाली को समझने और न्याय तक उन लोगों की पहूंच को बनाने के लिए सरकार ने ऐसा फैसला लिया है। संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय लोगों की संख्या 26 लाख है जो देश की कुल आबादी का 30 फीसदी है और यह देश का सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है।
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