अब बिना यूपीएससी की अनुमति के बगैर नहीं होगी एक्टिंग डीजीपी की नियुक्ति

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश को आदेश दिया है कि वे एक्टिंग डीजीपी या पुलिस आयुक्त के पद पर नियुक्ति न करें। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि राज्य या केंद्र सरकार यह पद खाली होने से तीन महीने पहले यूपीएससी को शीर्ष आईपीएस अधिकारियों की लिस्ट भेजेंगे।

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सूची में भेजे गए नामों पर संघ लोक सेवा आयोग विचार करेगा और तीन अफसरों के नाम भेजेगा। इन्हीं नामों में से किसी एक को डीजीपी या पुलिस आयुक्त बनाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि इन पदों पर उन्हीं अफसरों की नियुक्ति होगी जिनका कार्यकाल दो साल से ज्यादा हो। कोर्ट ने यह दिशा-निर्देश पुलिस सुधार को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रहे प्रकाश सिंह की ओर से संशोधन की मांग के बाद दिये गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि ज्यादातर राज्य रिटायर होने की कगार पर पहुंचे अफसरों को पहले कार्यकारी पुलिस महानिदेशक नियुक्त करते हैं। फिर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला देकर उन्हें स्थाई कर दिया जाता है। जिससे अफसर को दो और अतिरिक्त साल मिल जाते हैं।

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सिर्फ पांच राज्यों ने ही डीजीपी की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट के 2006 के आदेशानुसार संघ लोक सेवा आयोग से अनुमति ली। इनमें तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और कर्नाटक शामिल हैं। जबकि अन्य 25 राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट के 2006 के आदेशानुसार यूपीएससी से अनुमति नहीं ली।


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